उज्जैन के किसान लक्ष्मीनारायण मुकाती की सफलता की कहानी: केंचुओं से कमाते हैं 8 लाख रुपए सालाना

🌿 उज्जैन के किसान लक्ष्मीनारायण मुकाती की सफलता की कहानी: केंचुओं से कमाते हैं 8 लाख रुपए सालाना

उज्जैन | बड़नगर | 14 जुलाई 2025
जिन्हें लोग कचरा समझते हैं, उन्हीं केंचुओं की मदद से उज्जैन जिले के किसान लक्ष्मीनारायण मुकाती आज सालाना 8 लाख रुपए से अधिक की कमाई कर रहे हैं।
गांव लोहाना निवासी मुकाती ने 2019 में सिर्फ 500 रुपए के केंचुए खरीदकर वर्मी कंपोस्ट का सफर शुरू किया था, और आज वे सैकड़ों किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।


🔄 2019 में नागपुर से सीखा जैविक खेती का गुर

लक्ष्मीनारायण मुकाती ने बताया कि 2019 में उन्होंने नागपुर जाकर वर्मी कंपोस्ट, जीवामृत और जैविक दवाइयां बनाना सीखा
वापस लौटकर अपने एक एकड़ खेत में जैविक खेती की शुरुआत की। शुरुआत में प्रयोग के तौर पर जो किया, वो आज व्यवसाय का रूप ले चुका है।


🪱 ऐसे बनाते हैं वर्मी कंपोस्ट

वर्मी कंपोस्ट तैयार करने की प्रक्रिया सरल लेकिन अनुशासनपूर्ण होती है:

  • जमीन पर प्लास्टिक बिछाकर, उस पर 3 फीट चौड़ी और 2 फीट लंबी गोबर की परत बनाई जाती है।

  • 7-8 दिन तक सुबह-शाम पानी छिड़ककर नमी बनाए रखते हैं।

  • फिर इसमें 1 किलो आइसीनिया फेटिडा (लाल केंचुआ) छोड़ा जाता है।

  • 2 महीने तक इसे छांव में रखा जाता है और नियमित छिड़काव किया जाता है।

  • तैयार होने पर केंचुए गोबर की 3 इंच निचली सतह में चले जाते हैं, जिससे उन्हें फिर से उपयोग में लिया जा सकता है।


🌱 जीवामृत और घन जीवामृत बनाकर खेतों में इस्तेमाल

🧪 जीवामृत बनाने की विधि:

  • 200 लीटर पानी वाले ड्रम में

    • 10 किलो गाय का गोबर

    • 10 लीटर गोमूत्र

    • 1 किलो बेसन

    • 1 किलो गुड़

    • 1 किलो मिट्टी (बरगद/मेड़ की)

  • इस मिश्रण को 7-8 दिन तक छांव में रखकर दिन में दो बार मिक्स किया जाता है।

💠 घन जीवामृत (सूखा रूप):

  • 2 किलो गोबर

  • 10 लीटर गोमूत्र

  • 1 किलो बेसन

  • 1 किलो गुड़

  • 1 किलो मिट्टी मिलाकर कंडे बनाए जाते हैं और छांव में सुखाकर खेत में डाला जाता है।


📈 खेती में लागत घटी, मुनाफा बढ़ा

मुकाती का कहना है,

“जब पहली बार जैविक खाद का उपयोग किया, तो खेती की लागत 75% तक घट गई। उत्पादकता बनी रही और अनाज बाजार में अच्छे दाम पर बिका। इससे मेरा विश्वास बढ़ा और मैंने इस पद्धति को अन्य किसानों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया।”

अब तक वे 1000 से अधिक किसानों को निशुल्क प्रशिक्षण दे चुके हैं।


🤝 जैविक खेती का प्रचार-प्रसार

लक्ष्मीनारायण मुकाती अपने खेत पर ही

  • प्रशिक्षण सत्र आयोजित करते हैं

  • किसानों को खेत में बुलाकर व्यावहारिक तरीके से विधियां समझाते हैं

  • जैविक दवाइयां और खादें भी उपलब्ध कराते हैं


🧑‍🌾 निष्कर्ष:

500 रुपए की शुरुआत से 8 लाख रुपए की कमाई – यह सफलता केवल व्यवसाय की नहीं, बल्कि पर्यावरण, मिट्टी और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भी मिसाल है।

लक्ष्मीनारायण मुकाती आज जैविक खेती के क्षेत्र में एक रोल मॉडल बन चुके हैं और उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित कर रही है।

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